Wednesday, October 31, 2012

आधुनिक भारत के सफल वास्तुकार थे पटेल : हरविलास गुप्ता


गाज़ियाबाद। आज  शहीद स्मृति फाउंड़ेशन ने सरदार बल्लभ भाई पटेल का 138 वां  जन्म दिवस मनाया । इस अवसर पर संघीय गणराज्य भारत के निर्माण में  सरदार पटेल  के  योगदान को याद कर उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किये। सरदार पटेल के चित्र पर माल्यार्पण करने के उपरांत पटेल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए संस्था के अध्यक्ष हरविलास गुप्ता ने कहा कि  अगर सरदार पटेल को लोह पुरुष के साथ साथ आधुनिक भारत का चाणक्य कहा  जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. जिस प्रकार महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने एक समय भारत देश पर हुए सिकंदर रुपी विदेशी आक्रांता  को न केवल रोका अपितु अनेक खण्डों में बटें देश को चन्द्रगुप्त मौर्य के नेतृत्व में एकछत्र राज्य में परिवर्तित कर दिया था उसी प्रकार सरदार पटेल ने भारत देश से न केवल अँगरेज़ रुपी विदेशी आक्रमणकारियों को भगाया बल्कि स्वतंत्र भारत को  एक सूत्र में पिरो कर विश्व के एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित  किया। देश की आज़ादी के उपरांत जो सबसे बड़ी समस्या थी वह थी कि सैकड़ों  रियासतों  और लघुराज्यों में बंटे भारत को कैसे एकीकृत किया जाये। इस उत्तरदायित्व  को सरदार पटेल ने बखूबी निभाया। श्री गुप्ता ने कहा कि  यदि सरदार पटेल ने प्रयास न किया होता  तो आज हैदराबाद भी कश्मीर की तरह विवाद का केंद्र होता । उन्होंने कहा कि आज के राजनीतिज्ञों को सरदार पटेल के जीवन से दृढ इच्छाशक्ति, राष्ट्र के प्रति समर्पण और सुचिता की शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। इस अवसर पर कमलेश कुमार, संतोष गुप्ता, संजय  पाण्डेय ने भी अपना विचार व्यक्त किये।  निर्मल कपूर, चंन्दन माला, आज़ाद कौशिक , विनीत सिंह, दिनेश मिश्र, दिल बहादुर समेत संस्था के कई अन्य सदस्य मौजूद रहे। 

Sunday, October 14, 2012

"महाश्राद्ध" आयोजन में शहीदों को तर्पण देने के लिए उमड़ा राष्ट्र भक्तों का शैलाब


 गाज़ियाबाद   पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार आज अमर शहीदों हेतु  सामूहिक श्राद्ध तर्पण  कार्यक्रम "महाश्राद्ध" बड़े ही श्रद्धा भाव से मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत 10:30 बजे से होनी थी परन्तु  आज सुबह 9  बजे से ही घंटाघर स्थित राम लीला मैदान पर  राष्ट्रभक्तो का जमावड़ा शुरू होने लगा था। अमर शहीद स्मृति फाउन्डेशन के तत्वाधान में आयोजित इस अभूतपूर्व कार्यक्रम में सभी आयु, जाति और वर्गों के लोगो ने सहभागिता निभाई . क्षेत्र के समाजसेवी, व्यापारी, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों से लेकर मजदूरों और रिक्शा  चालक भाइयों ने शहीदों को  श्रद्धांजलि अर्पित कर तर्पण किया। 
कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता की स्तुति से हुआ . कार्यक्रम में जाने माने  साहित्यकार और ओजस्वी  वक्ता प्रोफेसर डा हरीन्द्र श्रीवास्तव ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के उपरांत विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपने जीवन काल में इस तरह का "अनूठा कार्यक्रम" पहली बार देखा है इसलिए कार्यक्रम के आयोजक हर विलास गुप्ता  को साधुवाद व बधाई दी। डा हरीन्द्र ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन से अमर शहीदों की स्मृति और उनके योगदान को अक्षुण बनाये रखा जा सकता है।  कार्यक्रम के संयोजक हरविलास गुप्ता ने कहा कि वे इश्वर के आभारी  हैं जो उन्हें इस प्रकार के कार्यक्रम के आयोजन की प्रेरणा मिली, उन्होंने कहा कि भौतिकतावाद में आकंठ डूबती जा रही युवा पीढ़ी को  अमर शहीदों के चरित्र और आचरण से अवगत करा कर ही उनमे राष्ट्रीयता की भावना लायी जा सकती है। श्री गुप्ता ने आगे कहा कि शहीदों की याद भारतीय जनमानस में चिर स्थापित करने के लिए वे  इस प्रकार के कार्यक्रमों की सतत श्रंखला जारी रखेंगे, साथ ही अपील की कि आज हर भारतीय का दायित्व है कि वह देश के प्रति शहीद हुए हुतात्माओं का मूल्यात्मक अनुसरण करे तथा  दूसरों को प्रेरित करे।   अपने वक्तव्य के दौरान उन्होंने जानकारी दी कि  वे एक ऐसे ऐतिहासिक शोध ग्रन्थ का संकलन व संपादन कर रहे हैं जिसमे लगभग एक हजार से अधिक क्रांतिकारी शहीदों का सचित्र  वर्णन होगा। 

महाश्राद्ध दिवस के आयोजन अवसर पर शहीदों के चित्रों पर पुष्पार्पण कर उपस्थित लोगो ने मिटटी के पात्र में गंगा जल से सूर्योमुख होकर हजारों शहीदों का तर्पण किया तथा उनके सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर उन्हें सामूहिक श्रद्धांजलि दी।  देश की आज़ादी के लिए मर मिटने वाले उन हजारों गुमनाम शहीदों के  नाम पर भी तर्पण किया गया जिनका नाम इतिहास की पुस्तकों में भले न हो पर उन्होंने स्वतंत्र भारत की आधारशिला रखने में नीव के गुमनाम पत्थर की  भूमिका निभाई। पंडित शंकर दत्त शास्त्री ने  शास्त्रीय  विधि विधान से पांच ब्राम्हणों सहित सामूहिक मन्त्रोच्चार के साथ श्राद्ध तर्पण कराया। श्राद्ध तर्पण के बाद ब्रम्हभोज तथा  सामूहिक भोज कराया गया।   कार्यक्रम में कविवर कृष्ण मित्र और युवा कवि संजय पाण्डेय  ने अपनी कविता पाठ के माध्यम से अमर शहीदों को नमन किया। कार्यक्रम में  मंच संचालन  मयंक गोयल ने किया। कार्यक्रम में हरीन्द्र श्रीवास्तव , राजीव मोहन,  तेलूराम कम्बोज(महापौर), महंत नारायण गिरि , कृष्ण वीर सिरोही,रवि मोहन, राकेश मोहन,शरद मित्तल, हितेश मोहन, नन्दलाल शर्मा, अरुण शर्मा, सुनील शर्मा, बी के अग्रवाल, एम् के अग्रवाल, एम् सी सिंघल, सौरभ गर्ग, आर पी बंसल, मयंक गोयल, यश गुप्ता, विनोद कुमार, उदित मोहन गर्ग, रुचिन  मोहन, राजेश कंसल, संतोष गुप्ता, अजय शर्मा , मदन मोहन, महावीर बंसल आदि समेत सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।