Sunday, May 29, 2011

अन्ना हजारे : वैचारिक स्थायित्व व तटस्थता की जरूरत

अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के विरुद्ध आन्दोलन को लेकर जिस तरह सुर्ख़ियों में हैं और पूरा देश जिस तरह उनके साथ आने को तैयार खड़ा है उसी तरह स्वयं अन्ना जी की भी नैतिक जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं . उन्हें भी मन , वचन व कर्म से एक जैसा व्योहार करना होगा. क्योंकि यदि देश वासियों को उनके मन, वचन व कर्म में एकरूपता नहीं दिखेगी तो उनकी इस मुहिम से जनता का जुडाव बहुत जल्द ख़त्म हो जायेगा . मेरा तो ये मानना है कि पिछले कुछ दिनों में अपने परस्पर विरोधी विचारों / बहानों से अन्ना जी ने न केवल अपनी छवि धूमिल की है बल्कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध चल रही उनकी मुहिम से राजनीतिकता की बू भी आने लगी है जो कि इस महत्वपूर्ण आन्दोलन के भविष्य के लिए ठीक नहीं है.
भ्रष्टाचार अर्थात भ्रष्ट आचरण , शिष्टाचार-रहित या नैतिकता-विहीन व्यवहार का परिचायक है. भ्रष्टाचार पर गठित के. संथानम समिति द्वारा भ्रष्टाचार के जो 27 प्रकार बताये गए तथा कौटिल्य द्वारा भ्रष्टाचार के जिन 40 स्वरूपों का वर्णन है उनमे पक्षपात, तुष्टिकरण, पात्र व्यक्ति की उपेक्षा करना तथा कुटिलता वश किसी कार्य का श्रेय प्राप्त करना भी भ्रष्टाचार के प्रकारों में शामिल हैं.
बाबा राम देव ने मार्च 2011 में दिल्ली में रैली की थी , उसमे अन्ना जी को बुलाकर न केवल उन्हें सम्मान दिया बल्कि राम देव जी ने देश वासियों से अपील भी की कि 5 अप्रैल से लोकपाल बिल की मांग में अन्ना जी के अनशन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें, यानि बाबा रामदेव ने अन्ना हजारे के अनशन के लिए मजबूत पृष्ठभूमि तैयार कर दी थी. इसके अलावा यह भी किसी से नहीं छिपा है कि बाबा राम देव पिछले काफी समय से भ्रष्टाचार, काले धन आदि पर जबरदस्त मुहिम छेड़ रखे हैं किन्तु दुर्भाग्य की बात है कि अन्ना हजारे ने अपने अनशन में बाबा राम देव को शामिल नहीं होने दिया. इसका तात्पर्य है कि जिन बाबा राम देव द्वारा चलायी मुहिम और जन जाग्रति को हाईजैक करके आपने सुर्खियाँ बटोरी उन्ही राम देव के प्रति कृतज्ञता न दिखाकर आपने भी नैतिक आचरण का परिचय नहीं दिया बल्कि सच तो ये है कि आपका यह कदम भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में ही माना जायेगा. हाँ यह आपके द्वारा लोकेष्णा की भूख में उठाया गया मानसिक भ्रष्टाचार ही है.
इसमें कोई दो राय नहीं कि अन्ना जी एक बड़ी मुहिम चला रहे है परन्तु इसके लिए उनके विचारों में भी उतनी ही दृढ़ता होनी चाहिए. किन्तु अपने द्वारा दिए विरोधाभासी बयानों से वे जन सामान्य की अपेक्षाओं में खरे नहीं उतर पा रहे हैं.
पिछले दिनों पहले तो उन्होंने गुजरात की तारीफ की किन्तु जब ये बात कांग्रेस के नेताओं को नहीं सुहाई तो उन्होंने मोदी जी की बुराई करने का मुद्दा जबरदस्ती दूंढ निकलते हुए u टर्न ले लिया . दरअसल उन्होंने कांग्रेस के आकाओं को ही रिझाने के लिए वक्तव्य दिया कि गुजरात में दूध से ज्यादा शराब चलती है. शायद अन्ना जी यह भूल रहे हैं कि देश में श्वेत क्रांति लाने में गुजरात राज्य की बहुत बड़ी भूमिका है. देश विदेश में प्रसिद्द अमूल ब्रांड देश के लाखों लोगों का रोजगारदाता है .
वैसे भी मोदी जी ने आपसे प्रमाण पात्र नहीं माँगा है . शराब का उत्पादन रुकवा दीजिये जिससे शराब बंद हो जाएगी . शराब के कारण देश में लाखों टन जौ - मक्का की खपत हो रही है ,जो आम आदमी के भोजन का सहारा है . रुकवाइये शराब बनाना , इससे दो काम होंगे देश में नशा खोरी नहीं रहेगी और आम आदमी को पेट भर भोजन मिलेगा.


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