डीजल की कीमत वृद्धि और एफ डी आई विवाद : सरकार और सहयोगी दलों की नूरा कुश्ती
डीजल , रसोई गैस के दाम बढ़ने और एफडीआई को खुदरा क्षेत्र में लागू करने से सरकार के कुछ सहयोगी क्षेत्रीय दलों ने जो नाराजगी जताई है, वह क्या दर्शाती है? मायावती ९ या १० अक्टूबर को अपना रुख स्पष्ट करने को कह रही है, ममता जी ने २ दिन का समय दिया है. सपा से तीन अलग अलग बातें सामने आ रही हैं,. मुलायम सिंह प्रधान मंत्री बनने की उधेड़बुन के हिसाब से
बातें कर रहे हैं, अखिलेश जी एफडीआई लागू तो नहीं करेंगे पर केंद्र सरकार भी नहीं गिरने देंगे. राम गोपाल यादव जी एफडीआई लागू करने के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं.
डीजल , रसोई गैस के दाम बढ़ने और एफडीआई को खुदरा क्षेत्र में लागू करने से सरकार के कुछ सहयोगी क्षेत्रीय दलों ने जो नाराजगी जताई है, वह क्या दर्शाती है? मायावती ९ या १० अक्टूबर को अपना रुख स्पष्ट करने को कह रही है, ममता जी ने २ दिन का समय दिया है. सपा से तीन अलग अलग बातें सामने आ रही हैं,. मुलायम सिंह प्रधान मंत्री बनने की उधेड़बुन के हिसाब से
बातें कर रहे हैं, अखिलेश जी एफडीआई लागू तो नहीं करेंगे पर केंद्र सरकार भी नहीं गिरने देंगे. राम गोपाल यादव जी एफडीआई लागू करने के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं.
यह सब देख कर मुझे एक दृष्टान्त याद आ रहा है- एक पंडित जी से गर्भवती पुत्र बधू की सास पूछती है कि पंडित जी मेरी बहु को लड़का जन्मेगा कि लड़की ? पंडित जी कहते हैं कि अरे जजमान लड़का ही होगा . जब वही पंडित जी पड़ोसन के पास जाते है और पड़ोसन उनसे पूछती है कि पंडित जी मेरी पड़ोसन को क्या होगा तो पंडित जी कहते हैं सच्चाई तो यही है जो मैं सिर्फ तुझे बता रहा हूँ कि उसके तो लड़की होगी. उसकी सास नाराज न हो इसलिए मैंने उसे लड़का बताया है.यानि कि पंडित जी के दोनों हाथों में लड्डू, क्योंकि दोनों पडोसने खुश. लड़का हुआ तो पंडित जी कि वाह वाह और लड़की हुई तो भी पंडित जी कि वाह वाह . कमोबेश यही पंडित जी वाली स्थिति आज सपा, बसपा जैसे दलों की है. जो सरकार से कुछ और जनता से कुछ बोलते हैं .
मैंने तो सभी क्षेत्रीय नेताओं के बयानों को सुनकर यही निष्कर्ष निकला है कि यह एक नूरा कुश्ती है और बिलकुल मैच फिक्सिंग कि तरह का खेल है. प्रधान मंत्री जी इतना जोखिम भरा बड़ा कदम अपने सहयोगियों को विस्वास में लिए बिना उठा ही नहीं सकते थे .इसलिए सच तो यही है कि इन घोषणाओं के सार्वजनिक होने से पहले अंदरखाने सब तय हो गया था कि आप सब अपना अपना हल्ला मचाना और हम अपना काम करेंगे, क्योंकि यह छूट तो है ही कि राज्य अपने यहाँ एफडीआई लागू करें या नहीं . इसलिए जनता भ्रम में न रहे यह
मैच फिक्सिंग का करिश्मा है.
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