देश प्रेमियों, देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों एवं क्रांतिकारियों की यादगार पुनः स्थापित करने के लिए बड़े प्रयत्न से एक शोध ग्रन्थ का प्रकाशन किया जा रहा है, इस ग्रन्थ में लगभग एक हजार क्रन्तिकारी और शहीदों का परिचय प्रस्तुत किया गया है, इस संकलन को अंतिम रूप देने के लिए विभिन्न स्रोतों से सहयोग लिया और इसके लिए अंदमान निकोबार स्थित सेलुलर जेल भी मैं गया, उक्त ग्रन्थ में से प्रतिदिन कुछ क्रन्तिकारी और शहीदों का संक्षिप्त परिचय आप तक पहुचाने हेतु facebook (http://www.facebook.com/harvilas.gupta.7) तथा मेरे ब्लॉग पर प्रकाशित किया जायेगा , यदि आप को मेरा यह प्रयास अच्छा लगे तो उक्त क्रांतिकारियों का जीवन परिचय अपने मित्रों को फॉरवर्ड करें . आप सब की प्रतिक्रिया की अपेक्षा रहेगी ....
Harvilas Gupta
Email: harvilasgupta@gmail.com
आज की परिचय श्रंखला में प्रस्तुत हैं -
वीर नारायण सिंह
वीरांगना उदा देवी
जीनत महल
बेगम हजरत महल
रानी वेलु नाच्चियर
राव तुला राम
प्राण सुख यादव
राय अहमद खान खरल
वीर नारायण सिंह
जन्म : १७९५ में छत्तीसगढ़ सोनाखान में जमीदार परिवार में पैदा हुए. १८५६ में अकाल पीड़ित लोगो कि सहायता की. अक्टूबर १८५६ में इनको एक झूठे मामले में फंसा कर जेल भेज दिया गया. जनता ने जेल पर धावा बोलकर छुड़ाया तथा उनका ब्रिटिश सेना से मुकाबला हुआ. हर जाने के उपरांत १० दिसंबर १८५७ को फंसी पर चढ़ा दिया गया.
राव तुला राम
राव तुलाराम भारत के एक प्रमुख स्वतन्त्रता सेनानी रेवाड़ी के नरेश थे। इनका जन्म ९ दिसंबर १८२५ को यादव वंश में हुआ ।
इन्होने १८५७ में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था, जिसमे उन्होंने तन मान धन लगाकर देश के लिए सर्वस्व समर्पित किया
. देश कि आज़ादी के लिए उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग जुटाने कि कोशिश की. वे भारत की आज़ादी के प्रमुख नायकों में से एक मने जाते हैं
. मृत्यु : २३ सितम्बर १८६३ में काबुल में हुई.
इन्होने १८५७ में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था, जिसमे उन्होंने तन मान धन लगाकर देश के लिए सर्वस्व समर्पित किया
. देश कि आज़ादी के लिए उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग जुटाने कि कोशिश की. वे भारत की आज़ादी के प्रमुख नायकों में से एक मने जाते हैं
. मृत्यु : २३ सितम्बर १८६३ में काबुल में हुई.
जीनत महल
भारत के अंतिम मुग़ल बादशाह की बेग़म थी. इनका जन्म १८२३ में हुआ. अग्रेजो द्वारा बहादुर शाह जफ़र
कि गिरफ़्तारी के बाद उन्ही के साथ रंगून निर्वासित कर दिया गया. मृत्यु : १८८६.
कि गिरफ़्तारी के बाद उन्ही के साथ रंगून निर्वासित कर दिया गया. मृत्यु : १८८६.
बेग़म हजरत महल
लखनऊ में 1857 की क्रांति का नेतृत्व बेगम हजरत महल ने किया। अपने नाबालिग पुत्र बिरजिस कादर को गद्दी पर बिठाकर
उन्होंने अंग्रेजी सेना का स्वयं मुकाबला किया। उनमें संगठन की अभूतपूर्व क्षमता थी और इसी कारण अवध के जमींदार,
किसान और सैनिक उनके नेतृत्व में आगे बढ़ते रहे। आलमबाग की लड़ाई के दौरान अपने जांबाज सिपाहियों की उन्होंने
भरपूर हौसला आफजाई की और हाथी पर सवार होकर अपने सैनिकों के साथ दिन-रात युद्ध करती रहीं। लखनऊ में पराजय के
बाद वह अवध के देहातों मे चली गईं और वहां भी क्रांति की चिंगारी सुलगाई।
उन्होंने अंग्रेजी सेना का स्वयं मुकाबला किया। उनमें संगठन की अभूतपूर्व क्षमता थी और इसी कारण अवध के जमींदार,
किसान और सैनिक उनके नेतृत्व में आगे बढ़ते रहे। आलमबाग की लड़ाई के दौरान अपने जांबाज सिपाहियों की उन्होंने
भरपूर हौसला आफजाई की और हाथी पर सवार होकर अपने सैनिकों के साथ दिन-रात युद्ध करती रहीं। लखनऊ में पराजय के
बाद वह अवध के देहातों मे चली गईं और वहां भी क्रांति की चिंगारी सुलगाई।
रानी वेलु नाच्चियर
जन्म १७५० में, दक्षिण भारतीय रानी थी. . ईस्ट इण्डिया कंपनी के खिलाफ जेहाद छेड़ा . इनके पति १७७२ में मरे गए.
उस संहार में स्वयं बच गयी .
उस संहार में स्वयं बच गयी .
प्राण सुख यादव
जन्म : सन १८०२ हरियाणा में , अपने समय के अद्भुत सेनानायक थे. है सिंह नलवा के अनन्य मित्रों में से एक थे.
राव तुलाराम के साथ मिलकर अंग्रेजों से युद्ध किया. १८८८ में इनकी मृत्यु हो गयी.
राव तुलाराम के साथ मिलकर अंग्रेजों से युद्ध किया. १८८८ में इनकी मृत्यु हो गयी.
राय अहमद खान खरल
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कि लड़ाई में इन्होने महत्वपूर्ण योगदान दिया. उसी दौरान इन्होने गोगरा सेंट्रल जेल पर हमला करके
सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों को छुड़ाया और कमिश्नर बर्कले को मरकर सैकड़ो हिन्दुस्तानियों के मरने का प्रतिशोध लिया.
अंत में अंगेजी सेनाओ के साथ युद्ध करते हुए शहीद हो गए.
सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों को छुड़ाया और कमिश्नर बर्कले को मरकर सैकड़ो हिन्दुस्तानियों के मरने का प्रतिशोध लिया.
अंत में अंगेजी सेनाओ के साथ युद्ध करते हुए शहीद हो गए.
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